ऊपरी बाधा मुक्ति का उपाय

13 March, 2018
ऊपरी बाधा मुक्ति का उपाय
ऊपरी बाधा मुक्ति का उपाय

१. इन्द्रवारुणी का पका फल, कमलगट्टा और काली मिर्च को गाय के मूत्र में पीसकर नस्य लेने से ब्रह्म राक्षस, भूत आदि की बाधा दूर होती है।
२. जावित्री और सफ़ेद अपराजिता के पत्ते के रास का नस्य लेने से डाकिनी-शाकिनी आदि की बाधा दूर हो जाती है। यह क्रिया शनिवार या मंगलवार को ही करें।
३. जिस समय सूर्य पुष्य नक्षत्र में हो, उस समय सफ़ेद घुँघची की जड़ को लाकर बालक के गले में बाँध देने से डाकिनी आदि का भय दूर हो जाता है।
४. अश्विनी नक्षत्र में घोड़े के खुर का नख लेकर रख लें। उस नख को अग्नि में डालकर धूनी देने से भूत-प्रेत भाग जाते है।
५. अनार का बांदा ज्येष्ठा नक्षत्र में लाकर घर के दरवाजे पर बाँध देने से बालकों के अनेक दुष्ट ग्रहों का निवारण हो जाता है।
६. बेल की जड़ , देवदारु, बबूल , तथा प्रिचंगु, इन सबको एक साथ पीसकर धुप देने से ग्रह, भूत-प्रेत, पिशाच, राक्षस, ब्रह्मराक्षस आदि की बाधा दूर हो जाती है।
७. लाल चन्दन, दूध, घी, मिसरी और शहद, इन सबको मिलाकर पिलाने से कैसा भी बहता हुआ रक्त रुक जाता है।
८. पौष मॉस के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी में जब विशाखा नक्षत्र हो, उस दिन पीपल की जड़ को न्यौत आएं और अगले दिन की रात में उसे लाकर नग्न हो, स्नान करके धुप देकर विधिपूर्वक पूजन करें। फिर उस जड़ को रोगी की भुजा में बाँध देदें तो प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
९. कालीमिर्च, सहदेवी की जड़ और तुलसी दाल इन तीनों को लेकर उक्त मन्त्र से सिद्ध करके प्रेतबाधा पीड़ित व्यक्ति को एक धारण करा देने से प्रेतबाधा मिट जाएगी।
१०. मन की पवित्रता, पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ श्री हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर निम्न मन्त्र को सिद्ध करके भोजपत्र पर लाल चन्दन या लाल रंग की स्याही से लिखकर रोगी को ताबीज में धारण करा देना चाहिए। मंत्र यह है –
ॐ हां हीं हूं हौं हः सकल भूतप्रेत दमनाय स्वाहा।
११. उपरोक्त मंत्र का जप दस हजार की संख्या में करना चाहिए, तभी यह सिद्ध हो पाएगा। मन्त्र-जप के उपरान्त असगंध से हवन करना चाहिए और उसके उपरान्त कम-से-कम ग्यारह छोटे बच्चों को भोजन करना चाहिए। यह सिद्ध मन्त्र हर प्रकार की प्रेतबाधा को दूर करने में सक्षम है।
१२. यदि किसी पर बहुत या प्रेत सवार हो गया हो, निम्न टोटका-मंत्र को १०१ बार पढ़कर झाड़ा दें। इस प्रयोग से भूत भाग जाएगा।
ॐ नमो भगवते उड्डामरेश्वराय कुहनी कुर्वती स्वाहा।
१३. यदि किसी को प्रेत सताता हो, तो शनिवार के दिन काले धतूरे की जड़ लाकर रोगी की दाहिनी भुजा में बाँध दें। प्रेत उसे सताना छोड़ देगा। यदि रोगी स्त्री हो, तो धतूरे की जड़ उसकी बायीं भुजा में बांधें।
१४. खस, चन्दन, कांगनी , नागर तथा लाल चन्दन और कूट इन सबको मिलाकर लेप बनाएं। यह लेप हर प्रकार की भूत-प्रेतबाधा को दूर करता है।
१५. गोरखमुंडी, गोखरू और बिनौला इन तीनों को गाय के मूत्र में पीसकर, रोगी को इसका धुंआ दें। उस पर सवार पिशाच तुरंत भाग खड़ा होगा।
१६. काली सरसों, सर्प की केंचुली, काले बकरे का दायां सींग, नीम के पत्ते, बच, अपामार्ग के पत्ते और गुग्गल इन सबको कूट-पीसकर, चूर्ण बनाकर रख लें। जब कोई रोगी प्रेतादि बाधा से पीड़ित आए, तो जलते कंडे के ऊपर उक्त चूर्ण को डालकर, उसकी धूनी रोगी को दें। रोगी उस पीड़ा से मुक्त हो जाएगा।


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